Thanks to AD (Anu Didi), who convinced me to post it. :-)
दिल की एक तन्हा धड़कन दूसरी धड़कन से कहती |
दिल की एक तन्हा धड़कन दूसरी धड़कन से कहती |
गर उसने हाँ कर दी होती, आज जिंदगी अलग ही होती ||
हाथ में मोबाइल ना होता, ना ही पीछे खिड़की होती |
गुलाबी साड़ी में लिपटी, नजरें झुकी झुकी सी रहती |
सर पे बिंदी आँख में काजल, काले बाल संवारा करती |
ऐसे नज़ारे पे ये नज़रें बस उनको ही "निहारा" करती |
ये भी होता, वो भी होता, जाने क्या हद कर दी होती |
किन्तु यह सब तो तब होता, गर उसने हाँ कर दी होती ||
आवारा बादल नदियों की प्यास पर न्योछावर होता |
सब नदियाँ एक धारा बनकर सागर की हैं प्यास बुझाती |
दूर गगन नक्षत्र निवासी, होती काश 'क्षितिज' की प्यासी |
इस मरू भूमि पर भी ओंस की एक बूँद मुस्काती |
किन्तु यह सब तो तब होता गर वो हमसे मान ही जाती ||
सब नदियाँ एक धारा बनकर सागर की हैं प्यास बुझाती |
दूर गगन नक्षत्र निवासी, होती काश 'क्षितिज' की प्यासी |
इस मरू भूमि पर भी ओंस की एक बूँद मुस्काती |
किन्तु यह सब तो तब होता गर वो हमसे मान ही जाती ||
सबके साथी, हम अकेले, एक आकांक्षा अपनी भी थी |
हाथों में एक हाथ होता, एक सर होता इस काँधे भी |
चांदनी जैसे नील गगन में, रहती वो भी इस मन में |
सागर के संग जैसे लहरें, और दीये संग जैसे बाती |
सागर के संग जैसे लहरें, और दीये संग जैसे बाती |
इस सूने आंगन में भी एक छम छम सी पायल इठलाती |
किन्तु यह सब तो तब होता गर वो हमसे मान ही जाती ||
क्षमा प्रार्थी जो कहा उनको कि चाहे 'कोई' भी होती |
क्षमा प्रार्थी जो कहा उनको कि चाहे 'कोई' भी होती |
'किसी' को भी हमने तो बस 'हाँ' ही कर दी होती |
कहत क्षितिज! ऐ नादाँ, गर नादानी न कर दी होती |
ना सिर्फ मेरी, आज तेरी भी ज़िन्दगी अलग ही होती ||
15 comments:
mast h be ekdum...khaskhar "khsitiz aur nihar" shabd ko achho use karyo h.. :p :P main soch raha hun jiske liye likha h use msg kar du.. :P
sach bhaiya agar "USNE" haan ker di hoti to aap aaj ek naye kshitiz ki aur "Nihar" rahe hote....
crack be!! abe tu hi bhej de niharika ne aa.. :) aur ek abhipsha ke liye likh de yar, bin m bhej dyula mhari taraf su :)
@Bittu: Abe kar de na :D
@Barkha: he he..
@Shu: Abe main khatya su likh dyu yar bin!! Mhar kan to koi contact hi koni and contact kar paba ki sambhawana bhi koni :D
wah badi romantic poem likhi hai
aisi poems kab se likhne laga tu..waise ye sab tujhe suit nahi karta :P
khub der socha, ki kya comment karu.. chapis? bt deleted, thn phod daala?? agn deleted, awesome bhai, ekdum dhansu?? and once agn deleted. kuch aur bhi khayal aaye, jo yahan nahi express karna chahunga... and then... i fell well short of words, whereas u had plenty... salute u my boy.. Speechless!!
saale sudhar jaa tu...insaan ki tarah behave kiya hota to haan kar di hoti usne..:D
@Anju: Is zindgi main sab kuchh karna padta hai :D
@Chhote: Thanks bhai :-)
@KB: Abe insaano ki hi tarah kiya tha yar behave. Sala har baat sach boli thi, kahi koi impression nahi jhada!!
jo jhaadna tha woh jhaada nahin... koi na agli baar achhe se jhaadiyo warna fir palla jhaad liya jayega
sahi hai
mast hai yaar!! tu romantic poems bhi likhta hai...
@Neha: Arre yar likhi thi kisi ke liye! Waise ye sab ko samajh nahi aa sakti.. kyonki ye us vyakti vishesh ke hi ird-gird ghoomti hai..
wow
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