वक़्त की रफ़्तार है, नहीं तो अभी कल ही की तो बात है,
वो छोटी सी बात को लेकर तुरंत खफा हो जाना,
"मिस, ये लड़कियां तो ऐसी ही हैं!", "ये लड़के तो निक्कमे ही हैं!",
अगले ही दिन फिर इसको भूल जाना और किसी नयी बात पे लड़ लेना,
हम सब ऐसे ही थे, वो सब भी ऐसी ही थीं,
तभी तो वो वक़्त याद आता है जब हर तरफ सिर्फ बेफिक्री ही थी ||
आज हम वहाँ नहीं हैं, हमने वो जगह खाली की,
इस आशा में कि कल कोई और हमारी जगह लेगा,
कोई और वहीं बैठ कर किसी और से लड़ रहा होगा,
तब वो बेफिक्री भी वक़्त की ही देन थी, आज ये जिम्मेदारी भी उसी की देन है ||
वक़्त?? वक़्त का क्या है, वो तो ऐसे ही चलेगा,
ना तो उसे तुम्हारी कोई परवाह है और ना ही मेरी ....
वो छोटी सी बात को लेकर तुरंत खफा हो जाना,
"मिस, ये लड़कियां तो ऐसी ही हैं!", "ये लड़के तो निक्कमे ही हैं!",
अगले ही दिन फिर इसको भूल जाना और किसी नयी बात पे लड़ लेना,
हम सब ऐसे ही थे, वो सब भी ऐसी ही थीं,
तभी तो वो वक़्त याद आता है जब हर तरफ सिर्फ बेफिक्री ही थी ||
आज हम वहाँ नहीं हैं, हमने वो जगह खाली की,
इस आशा में कि कल कोई और हमारी जगह लेगा,
कोई और वहीं बैठ कर किसी और से लड़ रहा होगा,
तब वो बेफिक्री भी वक़्त की ही देन थी, आज ये जिम्मेदारी भी उसी की देन है ||
वक़्त?? वक़्त का क्या है, वो तो ऐसे ही चलेगा,
ना तो उसे तुम्हारी कोई परवाह है और ना ही मेरी ....